राजस्थान में उपभोक्ताओं की बल्ले बल्ले! जानिए कैसे ToD टैरिफ से 30–40% तक कम होगा बिजली का बिल?

राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक नई उम्मीद की किरण उभरी है। राज्य सरकार और डिस्कॉम्स ने स्मार्ट मीटर आधारित ToD (Time of Day) टैरिफ लागू करके उपभोक्ताओं को सीधी बचत का मौका दिया है।

यह मॉडल विदेशों में काफी समय से सफलतापूर्वक चल रहा है और अब भारत में भी इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है। इसका उद्देश्य है—पीक घंटों में बिजली की खपत कम करना और उपभोक्ताओं को उन समयों में सस्ते दाम पर बिजली देना, जब डिमांड कम होती है।

इस पोस्किट में विस्तार से समझेंगे की आखिर यह ToD टैरिफ क्या है, कैसे काम करता है, और Rajasthan के लाखों उपभोक्ताओं का बिजली बिल 30–40% तक कैसे घटा सकता है।

1. ToD टैरिफ क्या है और क्यों जरूरी है?

ToD यानी Time of Day Tariff एक ऐसी प्रणाली है जिसमें बिजली की कीमत हर समय एक जैसी नहीं रहती। दिन के अलग-अलग समय पर बिजली की मांग अलग होती है। जब मांग ज्यादा होती है तो बिजली महंगी, और जब मांग कम होती है तो बिजली सस्ती लागू की जाती है। इससे दो फायदे मिलते हैं—उपभोक्ता सस्ती बिजली का लाभ उठाते हैं और बिजली की ग्रिड पर बोझ कम होता है। राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में यह व्यवस्था बिजली प्रबंधन को बहुत प्रभावी बनाती है।

2. राजस्थान में यह व्यवस्था कब से लागू हुई?

राजस्थान ने 2024-25 से स्मार्ट मीटर वाले घरेलू उपभोक्ताओं पर ToD टैरिफ लागू किया। इसका कारण यह था कि शाम के समय बिजली की मांग बहुत बढ़ जाती थी, जबकि रात और दोपहर के समय काफी ज्यादा बिजली बेकार चली जाती थी। ToD लागू करने से बिजली का सही उपयोग होने लगा, और उपभोक्ताओं को भी कम बिल का लाभ मिलने लगा। आने वाले समय में इस व्यवस्था को और अधिक श्रेणियों में लागू किया जाएगा।

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3. पीक और ऑफ-पीक टाइम स्लॉट कैसे तय होते हैं?

डिस्कॉम्स पूरे राज्य में बिजली की मांग के आंकड़े जुटाकर यह तय करते हैं कि किस समय बिजली की मांग सबसे ज्यादा होती है। राजस्थान में सामान्यतः शाम 6 से रात 10 बजे तक पीक घंटा माना जाता है। यह वह समय है जब घरों, दुकानों और दफ्तरों में बिजली का उपयोग चरम पर होता है। वहीं रात 10 बजे के बाद, दोपहर और सुबह के समय बिजली की मांग कम होती है। इसी आधार पर टैरिफ निर्धारित किए जाते हैं और ऑफ-पीक घंटों में बिजली 20–40% तक सस्ती होती है।

4. स्मार्ट मीटर ToD टैरिफ के केंद्र में क्यों है?

स्मार्ट मीटर हर 15 मिनट की बिजली खपत रिकॉर्ड करता है। पुराने मीटर में यह सुविधा नहीं थी, इसलिए घंटों के हिसाब से रेट लागू करना संभव नहीं था। स्मार्ट मीटर होने से डिस्कॉम बिल्कुल सही समय पर यह जान सकता है कि उपभोक्ता ने बिजली कब उपयोग की है।

उपभोक्ता को भी मोबाइल ऐप पर रियल टाइम खपत, खर्च और पीक-ऑफ पीक रेट की पूरी जानकारी मिल जाती है। यह पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक है और उपभोक्ता को किसी सेटिंग की जरूरत नहीं पड़ती।

5. उदाहरण से समझें कि आपका बिल कैसे 30–40% तक कम हो सकता है

मान लीजिए किसी घर की मासिक खपत 600 यूनिट है और उसमें 300 यूनिट खपत भारी उपकरणों से होती है—AC, गीजर, वॉशिंग मशीन, किचन उपकरण आदि। यदि यही भारी लोड आप दिन में या रात 10 बजे के बाद उपयोग करते हैं, जब बिजली सस्ती होती है, तो आपकी 40–50% यूनिट कम रेट पर जुड़ेंगी।
यदि पहले आप 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से 600 यूनिट का बिल भरते थे, तो ToD के बाद कई यूनिट 5–6 रुपये में जुड़ेंगी। ऐसे में कुल बिल 30–40% तक घट सकता है। यह बचत महीने दर महीने जुड़ती जाती है।

6. पीक टाइम में कम बिजली उपयोग करने से बड़ा फायदा

शाम के समय बिजली पर सबसे ज्यादा दबाव होता है। AC, कूलर, मोटर, किचन उपकरण सब एक साथ चलते हैं। इससे ट्रांसफॉर्मर और ग्रिड पर बोझ बढ़ता है और कई बार बिजली कटौती भी होती है। अगर हम भारी उपकरण पीक टाइम में न चलाएं, तो न केवल बिल कम होता है बल्कि बिजली कटौती की समस्या भी घटती है। पीक टाइम में कम खपत करने वाले उपभोक्ताओं को बिजली सस्ती मिलेगी और ग्रिड भी सुरक्षित रहेगी।

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7. किन उपकरणों को ऑफ-पीक घंटों में चलाना चाहिए?

वे उपकरण जो अधिक यूनिट खपत करते हैं, उन्हें ऑफ-पीक में चलाने से तेजी से बचत होती है।
AC (pre-cooling), वॉशिंग मशीन, गीजर, पानी की मोटर, इलेक्ट्रिक आयरन, इंडक्शन कुकर, माइक्रोवेव—इनका उपयोग रात 10 बजे के बाद या दोपहर में करना आदर्श है। एक मध्यम परिवार सिर्फ वॉशिंग मशीन और गीजर को ऑफ-पीक में चलाकर ही हर महीने 100–300 रुपये बचा सकता है।

8. जागरूकता बढ़ने से ToD का प्रभाव दोगुना होगा

डिस्कॉम उपभोक्ताओं को SMS, मोबाइल ऐप और बिजली बिल पर दी गई जानकारी के माध्यम से जागरूक कर रहा है। कई जिलों में उपभोक्ताओं को बताया जा रहा है कि किस उपकरण को किस समय चलाने से सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। जितना अधिक उपभोक्ता इस व्यवस्था को समझेंगे, उतनी ही तेजी से पूरे राज्य में बिजली बचत होगी।

9. सोलर सिस्टम + ToD = डबल बचत का फॉर्मूला

सोलर वाले उपभोक्ताओं को दिन में लगभग मुफ्त बिजली मिलती है। वे भारी उपकरण दोपहर में सोलर पर चला सकते हैं और रात के समय ऑफ-पीक रेट पर बाकी कार्य निपटा सकते हैं। इससे उनका बिजली बिल लगभग आधा हो जाता है। सोलर और ToD दोनों का संयोजन राजस्थान में उपभोक्ताओं के लिए सबसे अधिक लाभदायक साबित हो रहा है।

10. शुरुआत में ही उपभोक्ताओं ने 25–40% तक बचत दिखा दी

राजस्थान डिस्कॉम के आंकड़ों में पाया गया है कि जिन्होंने ToD के अनुसार बिजली उपयोग में बदलाव किए हैं, उनके बिल में 25–40% तक की कमी देखी गई है। यह फायदा सबसे ज्यादा उन घरों को मिला है जिनकी मासिक खपत 800 यूनिट से अधिक थी। थोड़ी सी आदत बदलने से बड़ी बचत संभव हुई है।

निष्कर्ष

ToD टैरिफ राजस्थान के उपभोक्ताओं के लिए एक गेम चेंजर साबित हो रहा है। यह न केवल उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देता है, बल्कि राज्य की ग्रिड को अधिक स्थिर बनाता है। यदि उपभोक्ता अपनी दिनचर्या में थोड़ा सा बदलाव कर लें—भारी लोड वाले उपकरण दिन या देर रात चलाएं—तो हर महीने बड़ी बचत संभव है। स्मार्ट मीटर इस पूरी प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाता है।
अगले कुछ वर्षों में ToD टैरिफ पूरे देश में बिजली बचत की सबसे प्रभावी रणनीतियों में से एक बनने वाला है।

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