झारखंड में 60% तक महंगी होने वाली है बिजली? JBVNL ने सरकार को सौंपा प्रस्ताव — पूरी खबर

झारखंड में रहने वाले लाखों बिजली उपभोक्ताओं को आने वाले दिनों में बड़ा झटका लग सकता है। राज्य की बिजली वितरण कंपनी झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बिजली दरों में लगभग 60% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव सरकार और नियामक आयोग को सौंपा है। प्रस्ताव सामने आते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और उपभोक्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है।

यह रिपोर्ट पूरे मामले को सरल भाषा में समझाती है—प्रस्ताव क्या है, क्यों दिया गया है, असर किस पर होगा, और आगे की प्रक्रिया क्या है।

1. JBVNL का नया प्रस्ताव क्या है?

JBVNL ने घरेलू, वाणिज्यिक, कृषि और औद्योगिक सभी श्रेणियों में बिजली दरें बढ़ाने की मांग की है। सबसे अधिक बढ़ोतरी घरेलू उपभोक्ताओं पर प्रस्तावित है।

घरेलू उपभोक्ताओं की संभावित नई दरें

  • वर्तमान दर: ₹6.70–₹6.85 प्रति यूनिट
  • प्रस्तावित नई दर: ₹10.20–₹10.30 प्रति यूनिट

कृषि उपभोक्ता

  • वर्तमान दर: ₹5.30 प्रति यूनिट
  • प्रस्तावित दर: ₹9–10 प्रति यूनिट

वाणिज्यिक और औद्योगिक श्रेणी

इन दोनों में भी 20–35% तक बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है।

इसके अलावा फिक्स्ड चार्ज यानी न्यूनतम मासिक शुल्क भी बढ़ाने का सुझाव दिया गया है, जिससे कम खपत होने पर भी बिल पहले से ज्यादा आएगा।

2. दरें बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ी?

JBVNL ने बिजली टैरिफ बढ़ाने के कई कारण बताए हैं:

2.1 बिजली खरीदने की लागत बढ़ गई

कंपनी अन्य स्रोतों से बिजली खरीदती है, जिसकी कीमत पिछले वर्षों में लगातार बढ़ी है।

2.2 पुराने बिजली समझौतों और देनदारियों का बोझ

पुराने PPAs और बकाए बिलों के कारण निगम भारी आर्थिक संकट झेल रहा है।

2.3 ग्रिड और नेटवर्क अपग्रेड की आवश्यकता

राज्य में ट्रांसफॉर्मर, बिजली लाइनों और मीटरिंग सिस्टम को आधुनिक बनाने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है।

2.4 बिजली की बढ़ती मांग

उपभोक्ताओं की संख्या और बिजली खपत बढ़ने से वितरण लागत भी काफी बढ़ गई है।

JBVNL का कहना है कि यदि दरें नहीं बढ़ाई गईं तो कंपनी घाटे में चली जाएगी, जिससे बिजली की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

3. प्रस्ताव पर जनता और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

प्रस्ताव सामने आते ही उपभोक्ताओं में नाराजगी बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि—

  • पहले ही महंगाई बढ़ी हुई है
  • बिजली की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ
  • कटौती और कम वोल्टेज की समस्या लगातार बनी रहती है

3.1 विपक्षी दलों का विरोध

विपक्षी दलों ने इसे जनविरोधी और बोझिल प्रस्ताव बताया है। भाजपा ने चेतावनी दी है कि यदि प्रस्ताव वापस नहीं लिया गया, तो राज्य-भर में आंदोलन किया जाएगा।

3.2 किसान संगठनों की आपत्ति

किसानों का कहना है कि सिंचाई लागत दोगुनी हो जाएगी, जिससे खेती करना मुश्किल होगा।

4. आम उपभोक्ताओं पर संभावित असर

यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो अलग-अलग उपभोक्ता वर्गों पर प्रभाव इस प्रकार पड़ सकता है:

4.1 घरेलू उपभोक्ता

200–300 यूनिट उपयोग करने वाले परिवारों का बिल लगभग 400–600 रुपये तक बढ़ सकता है।

4.2 किसान

सिंचाई हेतु बिजली महंगी होने से कृषि लागत बढ़ेगी, जिसका असर मंडी तक पहुंचेगा।

4.3 दुकानदार और व्यापारी

वाणिज्यिक बिजली दरें बढ़ने से दुकानदारों का मासिक बिल 1000–1500 रुपये तक बढ़ सकता है।

4.4 उद्योग और कारखाने

उत्पादन लागत बढ़ने से उद्योगों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी और इसका असर नौकरी व बाजार पर भी पड़ सकता है।

5. क्या दरें तुरंत बढ़ जाएंगी?

नहीं। यह सिर्फ एक टैरिफ प्रस्ताव है, जिसे लागू होने के लिए कई चरणों से गुजरना होगा।

5.1 प्रस्ताव की प्रक्रिया

  1. JBVNL ने प्रस्ताव JSERC (Jharkhand State Electricity Regulatory Commission) को भेजा है।
  2. आयोग पहले तकनीकी परीक्षण करेगा।
  3. इसके बाद Public Hearing होगी, जहाँ उपभोक्ता, किसान, व्यापारी अपनी आपत्तियाँ दर्ज कर सकेंगे।
  4. फिर आयोग अंतिम आदेश जारी करेगा—जिसमें प्रस्ताव बदला भी जा सकता है।

इसलिए अभी किसी भी उपभोक्ता को बढ़े हुए बिल की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि प्रक्रिया में समय लगेगा।

6. क्या राहत मिल सकती है?

हाँ, राहत की पूरी संभावना है। आमतौर पर JSERC प्रस्ताव में काफी संशोधन करता है।

6.1 संभावित राहतें

  • गरीब और BPL उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी जारी रह सकती है
  • किसानों के लिए अलग रियायती स्लैब लागू किया जा सकता है
  • 60% बढ़ोतरी को घटाकर 20–30% किया जा सकता है
  • फिक्स्ड चार्ज में अत्यधिक बढ़ोतरी रोकी जा सकती है

अंतिम फैसला आयोग के हाथ में है।

7. निष्कर्ष

झारखंड में बिजली को 60% महंगा करने का प्रस्ताव एक बड़ा आर्थिक और राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
JBVNL का तर्क है कि यह बढ़ोतरी आवश्यक है, जबकि जनता इसे अनावश्यक बोझ बता रही है।
अब नज़रें JSERC के अंतिम निर्णय पर हैं, जो यह तय करेगा कि प्रस्ताव पूर्ण रूप से लागू होगा, आंशिक रूप से बदलेगा, या निरस्त किया जाएगा।

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